तेरी याद
आज हमें फिर याद आ रही है बीते दिनों की
फिर ये दिल रोते रोते सोने लगा है l
गमो को लगा कर सीने से फिर
उसी राह पर से गुजरने लगे है l
गमो में फिर से भरी हुई शाम है l
अपने हाथो में बहकते हुए से जाम है l
हम तो मदहोशी में ही हर वक़्त रहते है l
सब से ही क्या हम तो खुद से ही कोसों दूर रहते है l
शिक़वे शिकायते करें तो भी किस से करें
वो तो बस हमसे खफा खफा से रहते है l
Sahil writer